
संविधान के प्रभाव में आने के समय आरक्षण व्यवस्था को मात्र 10 वर्षों के लिए लागू किया गया था | विदित हैं कि आरक्षण को इसलिए लागू किया गया था, जिससे कि समाज के कमजोर तथा वंचित वर्गों को समानता तथा बराबरी का अवसर उपलब्ध हों सके |
प्रारम्भ में आरक्षण केवल अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए ही था, परन्तु 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने मडल कमीशन की सिफारिशों को मानते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27% आरक्षण की घोषणा कर दी |
कालान्तर में आरक्षण व्यवस्था को आगे से आगे बढ़ाया जाता रहा | अनेक राज्यों में तो आरक्षण सर्वोच्य न्यायलय द्वारा लागू 50% सीमा से भी कहीं अधिक हैं |
समय – समय पर भारत के सभी राजनैतिक दल विभिन्न जातियों को आरक्षण की लॉलीपाप दिखा – दिखा कर वोट बैंक की राजनीति करते रहते हैं | वही दूसरी ओर गरीब की स्थिति जस – की – तस है |
वर्तमान समय में ऐसा नहीं लगता है कि आरक्षण कहीं जल्दी हटने वाला हैं |
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